राजस्थान ग्रामीण पर्यटन योजना-2022: विलेज टूरिज्म को बढ़ावा देने की कवायद

विश्व पर्यटन के मानचित्र पर राजस्थान की अलग पहचान है। विविधताओं से भरे इस प्रदेश के बारे में कहा जाता है कि कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर पाणी। भला ऐसे प्रदेश को कौन नहीं देखना चाहेगा।

 

काश! सम के धाेरों से गुलजार हो जाएं गांव

विश्व पर्यटन के मानचित्र पर राजस्थान की अलग पहचान है। विविधताओं से भरे इस प्रदेश के बारे में कहा जाता है कि कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर पाणी। भला ऐसे प्रदेश को कौन नहीं देखना चाहेगा।

एजेंसी | जयपुर

विविधताओं से भरे प्रदेश राजस्थान के बारे में एक कहावत प्रचलित है कि कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी यानी यहां हर एक कोस पर इस प्रदेश मंे पानी का स्वाद बदल जाता है और चार कोस की दूरी पर भाषा और वेशभूषा बदल जाती है। एेसे में इस रंग-बिरंगे प्रदेश, जिसे कहा ही रंगीला राजस्थान जाता है, उसे कौन नहीं देखना चाहेगा। यही कारण है कि देश ही नहीं, दुनियाभर से पर्यटक इस प्रदेश की ओर खिंचे चले आते हैं। राजस्थान में पर्यटन व्यवसाय हजारों करोड़ रुपए का है, लेकिन अभी तक पर्यटन के इस व्यवसाय से प्रदेश के गांव लगभग अछूते ही थे।

ग्रामीण टूरिज्म के नाम पर राजस्थान के जैसलमेर में सम के धोरों में या फिर शेखावाटी के कुछ गांवों में ही पर्यटन व्यवसाय पनप पाया है। करीब एक दशक पहले वर्ष 2011 में बीकानेर जिले के मोमासर गांव को पर्यटन के मानचित्र पर लाने के लिए स्थानीय लोगों की पहल पर मोमासर उत्सव शुरू किया गया, जिसको पर्यटकों ने हाथों-हाथ लिया। आज इस उत्सव में हजारों की संख्या में देश-विदेश से पर्यटक आने लगे हैं।

गांवों के प्रति पर्यटकों के बढ़ते रुझान को देखते हुए अब प्रदेश सरकार ने ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रयास शुरू किए हैं। इसके पीछे प्रदेश सरकार का उद्देश्य है कि प्रदेश के गांवों को टूरिस्ट स्पॉट के रूप में डवलप किया जाए, जिससे देसी-विदेशी पर्यटकों को राजस्थान के ग्रामीण जन जीवन के साथ उनके संस्कार और संस्कृति को तो करीब से देखने का मौका मिलेगा ही। साथ ही गांवों में रहने वाले लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पर मिलेंगे, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों का शहरों की ओर पलायन करने पर भी रोक लगेगी। अभी तक पर्यटक राजस्थान के शहरों में स्थित ऐतिहासिक किले, महलों सहित अन्य धरोहर को निहारते थे, लेकिन अब राजस्थान आने वाले पर्यटक यहां के गांव की हरियाली, संस्कृति और वहां की दिनचर्या को भी करीब से देख सकेंगे। यह सब मुमकिन होगा राजस्थान सरकार द्वारा हाल ही ग्रामीण क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लागू की गई एक नई नीति से।

हाल ही राजस्थान सरकार ने ग्रामीण पर्यटन योजना-2022 को लागू किया है। योजना के तहत अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी पर्यटकों के लिए शहरों जैसी व्यवस्था की जाएगी। इस योजना में मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना के तहत 25 लाख रुपए तक के ऋण पर 8 प्रतिशत के स्थान पर 9 प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों टूरिस्ट स्पॉट डवलप करने के लिए इस योजना के तहत स्थानीय लोक कलाकारों एवं हस्तशिल्पियों तथा ग्रामीण स्टार्टअप को अनुमोदन एवं देय लाभों में प्राथमिकता दी जाएगी।

फसाना न बन जाए गांव ग्रामीण के विकास का यह खुशनुमा ख्वाब

केंद्र व राज्यों सरकारों की ओर से जन कल्याण व विकास के लिए बहुत सी योजनाएं लाई जाती हैं। इन योजनाओं को जब लॉन्च किया जाता है तो ऐसा ढिंढोरा पीटा जाता है कि अब सब कुछ कायापलट होने वाला है, लेकिन प्रभावी मॉनिटरिंग नहीं होने के कारण सरकार की अधिकतर योजनाओं का हश्र बुरा होता है।

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जननायक जयप्रकाश नारायण के जन्मदिन 11 अक्टूबर, 2014 को सांसद आदर्श ग्राम योजना की शुरुआत की गई थी, जिसका हश्र क्या हुआ। यह किसी से छिपा नहीं है। योजना के लागू होने के 8 साल बाद भी शायद ही देश के किसी गांव के हालात में अभी तक कोई सुधार हुआ हो। अिधकतर गांवों में तो अब वहां के ग्रामीण भी भूल चुके हैं कि कभी उनके गांव का चयन सांसद आदर्श गांव के लिए हुआ था। आज भी इन गांवों में लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसा हश्र गांवों के विकास के लिए शुरू की गई इस योजना का नहीं होना चाहिए।

गांवों की कायापलट के लिए इस योजना के तहत ग्रामीण गेस्ट हाउस, कृषि पर्यटन इकाई, कैम्पिंग साइट, कैरावैन पार्क का निर्माण करवाया जाएगा, जिससे यहां आने वाले पर्यटकों को गांवों के रीति-रिवाज के साथ ग्रामीण जीवन और पशु-पक्षियों को भी करीब से देखने का मौका मिल सके। इस योजना के लिए प्रोजेक्ट अनुमोदन और पंजीकरण पर्यटन विभाग के संबधित पर्यटक स्वागत केंद्र द्वारा किया जाएगा। हालांकि पर्यटकों को सुलभ पहुंच उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पर्यटन इकाइयों के लिए 15 फीट चौड़ी सड़क होना जरूरी किया गया है।

करोड़ों की कमाई, पर अभी नहीं फिरे ग्रामीणों के दिन

 

जैसलमेेर से 42 किमी दूर सम के धोरों  में हर साल करीब छह लाख देसी-विदेशी पर्यटक आते हैं। यहां पर्यटकों का आवागमन बढ़ने से क्षेत्र में रौनक रहने लगी है। कई बड़े बिजनेस ग्रुपों ने यहां आधुनिक सुविधाओं से युक्त लग्जरी टैंटों में बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए ठहरने की सुविधा मुहैया कराई जा रही है। सर्दी में यहां इन टैंटनुमा कमरों का किराया तीन हजार से 10 हजार रुपए तक होता है। इस क्षेत्र में पर्यटकों के लिए ऐसे करीब 100 से अिधक होटल उपलब्ध हैं, जो पर्यटकों को ठहरने की सुविधा उपलब्ध कराते हैं। इस क्षेत्र में पर्यटन व्यवसाय से हाेने वाली प्रतिवर्ष आय 600 करोड़ रुपए के करीब है, लेकिन  इस पर्यटन व्यवसाय के जरिए इस क्षेत्र के मात्र 5 हजार के आस-पास लोगों को ही रोजगार मिला हुआ है। उसमें भी इन लोगों का किसी भी कार्य पर मालिकाना हक नहीं है। वे केवल यहां मेहनत मजदूरी या फिर लोक गायिकी जैसे कार्यों से थोड़ा बहुत कमा पा रहे हैं। ऐसे में राजस्थान ग्रामीण पर्यटन योजना के जरिए गांवों के किसानों को कोई सीधा लाभ मिल पाएगा, मुश्किल ही लगता है। जिन किसानों के पास खाद-बीज खरीदने के लिए पैसे नहीं होते, क्या वे इतनी बड़ी योजना का लाभ ले पाएंगे।

ग्रामीण पर्यटन इकाइयों को राहत के पूरे प्रयास

 

 

ग्रामीण पर्यटन नीति लागू होने के बाद अब ग्रामीण पर्यटन इकाइयों को स्टाम्प ड्यूटी में 100 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। नीति के तहत पर्यटन यूनिट को आरंभ में 25 प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी देय होगी, पर्यटन इकाई शुरू होने का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने पर सरकार द्वारा पुनर्भरण किया जाएगा। देय एवं जमा एसजीएसटी का 10 वर्षों तक 100 प्रतिशत  पुनर्भरण किया जाएगा। इस योजना के तहत ग्रामीण पर्यटन इकाइयों को भू-संपरिवर्तन एवं बिल्डिंग प्लान अनुमोदन कराने की जरूरत नहीं होगी। इसके साथ ही वन विभाग के अधीन क्षेत्र में ग्रामीण पर्यटन का प्रोत्साहन राज्य इको टूरिज्म पॉलिसी, 2021 के प्रावधानों के अनुसार किया जाएगा।

 

कृषि के साथ कमाई के नए तरीके अपनाए किसान

राजस्थान ग्रामीण पर्यटन का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को आगे बढ़ाना है. जिस तरह से शहरों में पर्यटक आकर्षित होते हैं, उसी तरह ग्रामीण क्षेत्र में भी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए इस योजना को लागू किया गया है।

 इसके द्वारा पर्यटन से जहां एक ओर गांव का विकास होगा तो साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे। योजना के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में निवेश एवं रोजगार को बढ़ावा मिलेगा साथ ही स्थानीय हस्तशिल्प और हस्तकरधा वाले लोगों के उत्पाद का संरक्षण
होगा।

एक्सपर्ट व्यू: केंद्र राज्य सरकारों की ओर से जन कल्याण के लिए विभिन्न योजनाओं पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन इनमें से अिधकतर योजनाएं लाल फीताशाही का शिकार हो जाती हैं। इससे आमजन को इन योजनाओं का प्रॉपर लाभ नहीं मिल पाता है। इसके लिए सरकारों को अिधकारियों की जिम्मेदारी तय करने के साथ काम की गारंटी अधिनियम को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। साथ ही हर योजना के लिए यह जरूरी किया जाना चाहिए कि आवेदन के बाद तय समय में उसे स्वीकृत किया जाना अावश्यक होगा। अगर तय समय में उस आवेदन को मंजूरी नहीं दी जाती है तो इसके बाद उसे स्वत: स्वीकृत मान लिए जाने जैसे कदम उठाए जाने चाहिए, जिससे लोगों को लालफीताशाही से निजात मिलेगी और इन योजनाओं के प्रति लोगों का रुझान बढ़ेगा।